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शुक्रवार, 22 मई 2020

जीवन का आरंभ



**विष्णु पुराण के अनुसार जीवन का आरम्भ: विस्तृत वर्णन**

विष्णु पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है, जो भगवान विष्णु की महिमा और सृष्टि के आरम्भ का वर्णन करता है। इसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, देवताओं, ऋषियों और अन्य पौराणिक कथाओं का वर्णन मिलता है। 

 सृष्टि की शुरुआत
विष्णु पुराण के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में केवल विष्णु ही अस्तित्व में थे। वे अनंत सागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में शयन कर रहे थे। इस स्थिति को 'योगनिद्रा' कहा जाता है, जो सृजनात्मक ऊर्जा के संग्रहण की स्थिति है।

 ब्रह्मा का जन्म
भगवान विष्णु के नाभि से एक कमल का फूल प्रकट हुआ। इस कमल के पुष्प पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना का कार्य सौंपा।

 सृष्टि की रचना
ब्रह्मा जी ने सबसे पहले चार सनतकुमारों की रचना की: सनक, सनन्दन, सनातन, और सनत्कुमार। ये सभी ब्रह्मचारी रहे और संसार की रचना में भाग नहीं लिया। 

इसके बाद, ब्रह्मा जी ने रुद्र की रचना की, जो भगवान शिव के रूप में जाने जाते हैं। रुद्र को सृष्टि के विनाश का कार्य सौंपा गया।

 मनु और प्रजापति
ब्रह्मा जी ने फिर मनु और शतरूपा की रचना की। मनु को मानव जाति का प्रथम पुरुष और शतरूपा को प्रथम स्त्री माना जाता है। इनसे मानव जाति की उत्पत्ति हुई।

इसके बाद ब्रह्मा जी ने विभिन्न प्रजापतियों की रचना की, जिन्होंने जीवों और अन्य प्राणियों की सृष्टि की। प्रजापतियों ने अपने तप, यज्ञ और संतानों के माध्यम से विभिन्न जीवों और मानव जाति की उत्पत्ति की।

 सृष्टि का विस्तार
प्रजापतियों ने विविध योनियों (प्रजातियों) की रचना की। इससे संपूर्ण जीव जगत की उत्पत्ति हुई। देवता, असुर, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, पशु, पक्षी, और सभी प्रकार के जीव-जंतु प्रजापतियों के माध्यम से सृष्टि में आए।

 ब्रह्मांड का संचालन
भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में माने जाते हैं। वे इस संसार के संचालन और संरक्षण का कार्य करते हैं। भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार, जैसे राम, कृष्ण, और अन्य, ने समय-समय पर पृथ्वी पर आकर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश किया।

 निष्कर्ष
विष्णु पुराण में सृष्टि की रचना और जीवन के आरम्भ का वर्णन गहन और व्यापक रूप में किया गया है। यह पुराण न केवल सृष्टि के वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है, बल्कि इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक तत्व भी शामिल हैं। भगवान विष्णु की इच्छा और ब्रह्मा जी के सृजनात्मक कार्यों के माध्यम से सृष्टि का आरम्भ हुआ और यह पुराण हमें जीवन के रहस्यों को समझने में सहायता प्रदान करता है।

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