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मंगलवार, 7 जनवरी 2020

भगवान राम और बाली का संवाद



भगवान राम और बाली का संवाद रामायण के किष्किंधा काण्ड में वर्णित है। जब राम और उनकी सेना किष्किंधा पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि सुग्रीव का भाई बाली उससे राज्य छीनकर उसे निर्वासित कर चुका है। सुग्रीव और राम की मित्रता होती है और राम सुग्रीव को उसका राज्य वापस दिलाने का वचन देते हैं।

सुग्रीव, राम की सहायता से बाली को चुनौती देता है। बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध होता है, और जब बाली सुग्रीव पर हावी हो जाता है, तब राम छिपकर बाली को अपने तीर से मार देते हैं। बाली घायल होकर गिर जाता है और उसके और राम के बीच एक संवाद होता है। इस संवाद में बाली राम से पूछता है कि उन्होंने छिपकर उसे क्यों मारा। बाली कहते हैं:

"हे राम! आप धर्मात्मा हैं, फिर आपने छिपकर मुझे क्यों मारा? यह धर्म के विरुद्ध है।"

राम उत्तर देते हैं:

"हे बाली! तुमने अपने छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी को बलपूर्वक अपने पास रखकर अधर्म किया है। एक धर्म रक्षक राजा का कर्तव्य है कि वह अधर्म का नाश करे। मैंने धर्म के अनुसार ही कार्य किया है।"

राम के इस उत्तर से बाली को अपनी गलती का एहसास होता है और वह राम से क्षमा मांगता है। बाली अपने पुत्र अंगद को राम की सेवा में रखने का आग्रह करता है और फिर अपने प्राण त्याग देता है।
 

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